Friday, 26 October 2018

अपनी अलग पहचान रखने वाले राजपूत समाज के जयवीर सिंह सुरेरा

                                              
                                                समाज के जनसेवक जयवीर सिंह सुरेरा सीकर से* 

आज मैं जिस युवा शख्सियत का परिचय कराने जा रहा हूं वो *राजनीति और सामाजिक दोनों क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखते हैं* सामाजिक संगठनों में रहते हुए इस प्रकार राजनीतिक कद बढ़ाना लगातार किसी चाणक्य नीति से कम नहीं है वह भी प्रसिद्ध राजनीतिक पार्टी में बहुत बड़े सम्मान की बात है यह
मेरा उद्देश्य इनका जीवन परिचय करवाने का यही है कि इनसे समाज के युवा भाइयों को बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है मेरी इस पोस्ट के माध्यम से!!

जयवीर सिंह शेखावत
ठिकाना- सुरेरा
जिला- सीकर
राजस्थान

जयवीर सिंह जी सुरेरा समाज की वह उभरती हुई राजनीतिक और सामाजिक शख्सियत है *जिसने दोनों क्षेत्रों में अपना संघर्ष का लोहा मनवाया है मैं इनके संघर्ष को सलाम करता हूं* बहुत कम युवा भाई लोग होंगे जो सामाजिक संगठनों से जुड़कर भी राजनीति में एक अलग पहचान रखते हैं और चाणक्य नीति अपनाते हैं क्योंकि समाज विशेष के संगठन से जुड़ने के बाद लोगों के द्वारा जातिवाद का ठप्पा लगा दिया जाता है और कहीं ना कहीं राजनीति कद में पीछे धकेल दिया जाता है *पर इन भ्रांतियाँ को तोड़ के दिखाए है आदरणीय जयवीर सिंह जी भाई साहब ने,*
जब जब समाज ने कोई आंदोलन किया विरोध प्रदर्शन किया है तब तब जयवीर सिंह जी सुरेरा ने उसका नेतृत्व बढ़-चढ़कर किया है और *फिर भी वहां से चुनाव लड़ना और जीतना जहां पर समाज के नाम मात्र के वोट हो बड़ी आश्चर्य की बात है* समाज का युवा इन से बहुत कुछ सीख सकते हैं सामाजिक संगठन में रहकर किस प्रकार राजनीतिक कद बढ़ाया जा सकता है अपना,

आदरणीय जयवीर सिंह जी भाई साहब वर्तमान में सीकर जिले के दातारामगढ़ तहसील के सुरेरा गांव में रहते हैं अपने परिवार के साथ *यह खुद अपने गांव से उपसरपंच और इनकी धर्मपत्नी पंचायत समिति सदस्य है कांग्रेस पार्टी से,*

जयवीर सिंह जी सुरेरा राजनीतिक पार्टी में युवाओं के बहुत लोकप्रिय शख्सियत है सर्वे समाज की और सामाजिक संगठनों में इनके संघर्ष को बड़े-बड़े लोग सलाम करते हैं *इनको सामाजिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों में सर्व समाज के युवा भाई बहुत मान-सम्मान देते हैं* आदरणीय जयवीर सिंह जी भाई साहब साफ़ छवि ईमानदार और नेक दिल इंसान है यह हमेशा समाज के साथ साथ सर्व समाज के लोगों के सुख दुख में हमेशा खड़े रहते हैं बात जब समाज पर आती है तो यह अपना राजनीतिक केरियर को छोड़कर समाज के साथ खड़े रहते हैं और *बड़े गर्व के साथ कहते हैं जो अपने समाज का नहीं वो किसी का नहीं* सर्वप्रथम समाज को सर्वोपरि समझते हैं उसके बाद में राजनीति को,

यह हमेशा गरीबों के सुख दुख में शुरू से ही साथ खड़े रहे है जब इनके पास में इनका खुद का टेंट हुआ करता था उस वक्त *अगर किसी गरीब परिवार के टेंट की आवश्यकता होती उस वक्त यह निशुल्क संपूर्ण टेंट की व्यवस्था करवाते अपनी तरफ से* यहीं से इनका सामाजिक और राजनीतिक जीवन की शुरुआत होती है,

इन्होंने अपना राजनीतिक जीवन की शुरुआत सन 2009 में निर्विरोध वार्ड पंच का चुनाव जीतकर किया और *पहली बार में ही निर्विरोध वार्ड पंच का चुनाव जीतकर उसी वक्त निर्विरोध उपसरपंच का चुनाव भी जीत जाते हैं* उपसरपंच बनने के बाद गांव के कई जटिल मुद्दे और गांव का संपूर्ण विकास में अपनी भागीदारी निभाई साथ में सामाजिक संगठनों से जुड़कर समाज हित के लिए भी कार्य करते रहें उसमें यह करणी सेना के तहसील संयोजक हुआ करते थे उसमें इनके द्वारा खारी जोधा गांव के धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को न्याय दिलाने के लिए जो संघर्ष किया वह कौन भूल सकता है *समाज हित के लिए इन्होंने मृत्यु भोज को बंद करने के लिए संघर्ष किया,* जब यह अपने गांव के उपसरपंच थे उसी वक्त हरिओम गौशाला के कोषाध्यक्ष के पद पर भी कार्य किया,
यह 2 साल तक श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के दातारामगढ़ के तहसील अध्यक्ष रहे *उसके बाद इन्हें 2016 में सीकर जिले का उपाध्यक्ष बना दिया गया राष्ट्रीय करणी सेना का* हालांकि यह चाहते तो प्रदेश कार्यकारिणी में भी जा सकते थे पर राजनीतिक में होने की वजह से सीकर तक ही अपने आप को सीमित रखा कि सामाजिक संगठनों से जुड़कर समाज हित के लिए भी कार्य किया जा सके और राजनीतिक कैरियर में भी अपना भाग्य आजमाया जा सके,

12 जुलाई 2017 को जब सांवराद में आनंदपाल दादा की श्रद्धांजलि सभा हो रही थी उस वक्त इन्होंने दातारामगढ़ से नेतृत्व करके काफी संख्या में राजपूत समाज के लोग लेकर गए *और उस दिन वहां पर सुई गांव के भाई रमेश परमार की अचानक तबियत खराब हो जाती है सांवराद में उन्हें तुरंत सीकर लाकर भर्ती करवाया जाता है और उनका उपचार करवाया जाता है पर होनी को कुछ और ही मंजूर था उस आदरणीय भाई को बचाया नहीं जा सका* इसके बाद जब सांवराद प्रकरण होने के बाद जब दातारामगढ़ के समाज के युवा भाइयों को पुलिस के द्वारा झूठे मुकदमे में फंसाने का काम शुरू किया जाता है तब यह दाता रामगढ़ के समाज के लोगों को संगठित करके *पुलिस थाना अधिकारी को ज्ञापन देते हैं और खुले शब्दों में कहते हैं कि अगर युवा भाइयों को निर्दोष मामले में फंसाया गया तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे,*
चाहे मां पद्मावती का आंदोलन हो,
चाहिए सांवराद प्रकरण हो चाहे, सामराऊ कांड हो ,या अन्य किसी प्रकार का समाज का आंदोलन हो इन्होंने हमेशा बढ़ चढ़कर उस में अपनी अहम भूमिका निभाई है,

*इसके बावजूद जब फिर से गांव में उप सरपंचों के चुनाव होते हैं तो एक बार फिर से यह अपनी चाणक्य नीति से निर्विरोध उपसरपंच दूसरी बार लगातार बनाए जाते हैं पता नहीं क्या करिश्माई निति हैे इनके पास जहां समाज के वोट नाम मात्र के वहां लगातार दो बार उपसरपंच वह भी निर्विरोध*

जब इनकी धर्मपत्नी पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ रहे थे उस वक्त उनके प्रतिद्वंद्वी के परिवार में कोई सड़क दुर्घटना हो जाती है उस वक्त यह क्षत्रिय धर्म निभाते हुए अपना संपूर्ण चुनावी कार्यों को छोड़कर उन्हें तुरंत प्रभाव से गंभीर अवस्था में जयपुर एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती करवाते हैं और अति शीघ्र उपचार उपलब्ध करवाया जाता है जिससे उन दोनों बच्चों की जान बच जाती है *हा आज के जमाने में कोई इस प्रकार का राजनीतिक में दरिया दिल इंसान जो अपने प्रतिद्वंद्वी को भूल कर मानवता धर्म निभाता हाे* उनकी राजनीतिक पकड़ इस बात से लगाया जा सकता है कि इन्हें दातारामगढ़ से कांग्रेस पार्टी से उपप्रधान का चुनाव लड़ा जाता है, सामाजिक हित और राजनीतिक हित में कार्य काे देखकर इन्हें अभी फिलहाल कुछ दिन पहले *कांग्रेस पार्टी से दातारामगढ़ ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के महासचिव पद पर नियुक्ति की गई है*

जय मां भवानी
जय क्षात्र धर्म

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