Sunday, 25 November 2018

बिल्ली शेर की मौसी कहलाई जाती है, आज राजपूत शेरो को बिल्ली मौसी की निति पर चलने की जरूरत है

एक कहावत है कि बिल्ली या तो खावे, और खा न पाए तो खिंडा दे 😀😀

बिल्ली शेर की मौसी कहलाई जाती है, आज राजपूत शेरो को बिल्ली मौसी की निति पर चलने की जरूरत है 😂

जब किसी भी दल में हमारे हितो की चिंता नही तो भाड़ में जाएं, खिंडा दो सारा खेल इसी में हमारी जीत होगी
👊👊💪💪

राजस्थान में किसी भी राजनैतिक दल की सरकार बने क्षत्रियो को घण्टा कोई फर्क नही पड़ता।

बेहतर यही होगा कि सूझबूझ से अपना शक्ति प्रदर्शन किया जाए, किसी दल विशेष के अंधभक्त न बने।
हर सीट पर अलग रणनीति बनाए और ज्यादा से ज्यादा अपने समाज के पर्तिनिधियो को जिताकर विधानसभा भेजें।

1--पहली प्राथमिकता, जहाँ से कोई निर्दलीय या छोटे दल से राजपूत (रावणा राजपूत,भोमिया राजपूत सहित), या चारण, राजपुरोहित, ब्राह्मण, कायमखानी जैसे सहयोगी वर्ग के प्रत्याशी जीतने की स्थिति में हो उन्हें खुलकर जिताएं।

2--आरक्षित 59 सीटो पर स्वर्ण स्वाभिमान मोर्चे द्वारा जातिगत आरक्षण के विरोधी दलित उम्मीदवारों को उतारा है,
इनको मिलने वाला एक एक वोट आपके आक्रोश की अभिव्यक्ति करेगा,
इसलिये हर हाल में हार जीत की फ़िक्र किये बिना इन सभी 59 आरक्षित सीटो पर समता मिशन के उम्मीदवारों को ही खाट (चारपाई) चुनाव चिन्ह पर वोट करें

बेहद महत्वपूर्ण 👆👆

3--जहाँ भाजपा और कांग्रेस से अपने समाज का उम्मीदवार खड़ा हो उसे सभी मतभेद नाराजगी भुलाते हुए एकतरफा मतदान करें, पार्टी चाहे जो भी हो।

जहाँ दोनो दलो से राजपूत उम्मीदवार हों वहां जो बेहतर व्यक्तित्व हो उसे वोट करें।

4--जहाँ कोई राजपूत प्रत्याशी न हो और कोई समाज का शत्रु उम्मीदवार खड़ा हो तो उसे एकतरफा मतदान करते हुए हराने का प्रयास किया जाए।

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राजस्थान से दमदार निर्दलीय या छोटे दलो से राजपूत उमीदवार (कांग्रेस,बीजेपी के अलावा)

1-रणधीर सिंह भींडर वल्लभनगर 

2-मनोज सिंह न्यागली सादुलपुर

3-खुशवीर सिंह जोजावर,मारवाड़ जंक्शन

4-राजेन्द्र सिंह गुढा,उदयपुरवाटी

5-महेंद्र सिंह भाटी,ओसिया

6-कुम्भ सिंह पातावत, फलोदी

7-यशवर्धन सिंह शेखावत झुंझनू

8-रविन्द्र सिंह राणावत जोधपुर शहर

9-किशोर सिंह कानोड़ बायतु
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10-अर्जुन सिंह गोड खानपुर-----------------------------------------

11-रविंद्र सिंह हाडा कोटा दक्षिण ------------
आरक्षित 59 सीटों पर मिशन समता दल के सभी समर्थित उम्मीदवारों को स्वर्ण समाज एकतरफा मतदान करे और अपनी उपेक्षा के प्रति आक्रोश की अभिव्यक्ति करें।
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भाजपा के राजपूत उम्मीदवार

1.सिद्धि कुमारी ,बीकानेर
2.पूनम कंवर,कोलायत
3.राजेन्द्र सिंह राठौड़,चुरू
4.प्रेम सिंह बाजोर,नीमका थाना
5.राव राजेन्द्र सिंह,शाहपुरा
6.राजपाल शेखावत,झोटवाड़ा
7.नरपत S राजवी,विद्याधर नगर
8.सुशीला कंवर,मसूदा
9.मनोहर सिंह ,लाडनू
10.जितेंद्र सिंह,डीडवाना
11.मांन सिंह,परबतसर
12.पुष्पेंद्र राणावत,बाली
13.गजेंद्र सिंह, लोहावट
14.बाबू सिंह,शेरगढ़
15.शम्भू सिंह,सरदारपुरा
16.सांग सिंह,जैसलमेर
17.प्रतापपुरी,पोखरण
18.खुमान सिंह,शिव
19.हमीर सिंह,सिवाना
20.नारायण सिंह,रानीवाड़ा
21.चंद्रभान सिंह,चित्तोड़
22.सुरेंद्र सिंह,कुंभलगढ़
23.महेश प्रताप,नाथद्वारा
24.ओमेंद्र सिंह,हिंडोली
25.कल्पना देवी,लाडपुरा

1.झब्बर सिंह,आसींद (रावणा राजपूत)
1. छगन सिंह,आहोर (राजपुरोहित)
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कांग्रेस के राजपूत उम्मीदवार

1.भंवर सिंह भाटी,कोलायत
2.दीपेंद्र शेखावत,श्रीमाधोपुर
3.प्रताप S खाचरियावास, सिविल लाइन
4.गिरिराज मलिंगा,बाडी
5.महेंद्र रलावता, अजमेर
6.मीना कंवर, शेरगढ़
7.पंकज प्रताप सिंह,सिवाना
8.समरजीत सिंह,भीनमाल
9.गजेंद्र शक्तावत,भींडर
10.नारायण सिंह भाटी,राजसमंद
11.भरत सिंह,सांगोद
12.करण सिंह,छबड़ा
13.मानवेन्द्र जसोल,झालरापाटन
14.उमेद सिंह,बाली (NCP से,कांग्रेस की सहयोगी पार्टी)

15.गणेश सिंह,कुंभलगढ़ (खरवड़ राजपूत)
1.मनीषा पंवार,जोधपुर (रावणा राजपूत)
1.सुरेंद्र सिंह,चितोड़ (चारण)
1.महावीर सिंह,पाली (राजपुरोहित)
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ध्यान रहे कि दोनों ही दलो ने राजस्थान से राजपूतों को मिटाने की कसम खा ली है तो हमे भी किसी की फ़िक्र करने की आवश्यकता नही है।

जो चमचा, अंडभक्त , या अंडविरोधी ज्यादा ज्ञान पेले तो सर्दी में थोड़े हाथ भी गर्म कर लो 👏👏

Friday, 23 November 2018

शायद आप सब जानते होंगे' श्री सूरजपाल अम्मू जी को'

शायद आप सब जानते होंगे' श्री सूरजपाल अम्मू जी को'
अम्मू जी ने पद्मावत फ़िल्म के दौरान बीजेपी से मुह मोड़ लिया था समाज के लिए' बीजेपी में थे बीजेपी में ही रह गए' मंत्री होने के बावजूद राजपूतो का सबसे बड़ा सगठन करणी_सेना को ज्वाइन किया' आजतक किसी भी देश प्रदेश के मंत्री ने हालांकि ज्वाइन नही किया अभी तक'  अब वे बीजेपी में थे बीजेपी में ही रह गए तो हमारे पड़ोसी राज्य राजस्थान के कुछ भाइयो ने इनकीं खूब माँ बहन बेटी तक गालियां दी ' हम सब चुप रहे क्योकि हमे पता था समय पर जवाब देंगे ओर सुनो जब समय पर जवाब दिया जाता है ना तो इतनी जलती है कि बरनोल कम पड़ जाते है'. आज #मानवेन्द्र_जसोल बीजेपी को छोड़कर काँग्रेश में आ गए' जिन्होंने ना आनंदपाल प्रकरण में बोला' ना चतुर सिंह सोढा एनकाउंटर में बोले' ना जयपुर राजघराने मामले में बोले' ना पद्मावती फ़िल्म पर बोले' सामराऊ में राजपूतो के घर जलाए गए ना तब बोले' आज वो स्वाभीमानी हो गया' अम्मू जी नकली बना दिये' वाह रे सरदारो' कोई तुम्हारा साथ दे तो क्या सोचकर दे' तुम बात से फिरते इतनी जल्दी हो कि बस सुना था देखा अब है!.  सूरजपाल अम्मू जी समाज के लिए जेल गए आपके वहां तो एक मंत्री ने #पद्मावत रोकने पर हस्ताक्षर तक नही किये' उन्होंने हरियाणा से ओर भिन्न भिन्न प्रदेशो के राह एक बना दिये रोजाना कभी फ्लाइट से कभी गाड़ियों से कभी ट्रेनों से अपने दलबल के साथ पहुँचकर आपकी आवाज बन रहे थे" आखिर में इतनी बड़ी उम्र के इन्शान का हमारे भाइयो ने दिल इतना तोड़ दिया कि वो सायद अब कभी नही बोलेगे समाज हित मे ' कौन बोलेगा भाई घर छोड़कर काम करो फिर समाज के उन बन्ना लोगो की गालिया सुनो जो साथ एक फ़ोटो के लिए कड़ी धूप में घण्टो भर खड़े रहते थे' उन्होंने भी गालियां दी'.....
क्यो भाई मानवेन्द्र जसोल ने कब समाज हित की लड़ाई लड़ी ऐसी' देखिए ना मेरे वोट वहां पर ना मुझे वोट डलवाने आना ना मेरा कोई मतलब कोई जीते कोई हारे लेकिन ' जो लोग आजतक समाज के लिए एक बात नही बोले खुल्ले मंच से उनके लिए स्वाभिमान जाग गया बन्ना लोगो का कोनसा स्वाभिमान भाई ???.....

हम आपसे नाराज नही है युवा साथियो लेकिन आप अपनी जबान पर रहा करो' जबान ही राजपूतो का गहना है'.. कभी कहते हो चेतक प्यासा मर जायेगा मुगलो का पानी नही पियेगा' हम बीजेपी को वोट नही देगें काँग्रेश यह ना सोचे कि रजवाड़े काँग्रेश को वोट देंगे ' क्यो भाई अब कहा गया चेतक कहा गया पानी' कहा गया स्वाभिमान ' जो इन्शान समाज के सरदारो को बैठने के लिए मंच पर जगह नही दे सकता' पानी तक नही पूछता वह क्या समाज हित की बात करेगा?? 
  कभी कहते हो सुखदेव गोगामेड़ी जी जो कहेंगे वो होगा भाईसाहब सुखदेव जी को जगह ना दी उस इन्शान ने तो कैसा स्पोर्ट हम मानवेन्द्र जसोल का नाम ही अभी 2 महीने से सुना है सुखदेव जी को हम ओर हमारा परिवार बचपन से जानता है' हम तो उसकी स्पोर्ट करेगे जो समाज की सेवा करता है'
  अम्मू जी बीजेपी में रहकर बीजेपी में रह गए तो गालिया दी 😊 एक पार्टी राजपूतो का सर्वनाश करने वाली कांग्रेस लुटेरी रजवाड़े किल्ले जमीन तक जिसने हड़प ली' उस पार्टी को वोट देकर स्वाभीमान बता रहे है
मुबारक हो भाइयो #स्वाभिमान 🙏
खेर अब कुछ समय चुप है समय पर बोलता हूं सही जगह बोलता हूं सबको पता है!.

देखते है राजपूतो पर अत्याचार होता है तब मानवेन्द्र जी कितन लड़ते है समाज के लिए???.....
अम्मू जी चुप हो गए कही नजर आते है समाज में नही आते क्योकि तुमने लज्जित इतना कर दिया बिना बात उनको'. इसलिए क्या पता यह दिन हमे भी देखना पड़े इसलिए सदा के लिए अब चुप है चुप रहेगे🙏
तोहिन्द कराने से अच्छा है' चुप रहो ' क्यो दुश्मनी रखे हम किसी से ' क्यो अपना समय व धन का नुकशान करे' आखरी में  यूवा भाइयो से मिलनी गालियां है' राजस्थान वाले भाई वेसै #नोटा #नोटा गाते रहते थे और अब जब #चुनाव आया तो नोटा तो छोडो #समाज को ही भुल गये
वाह भाईयों वाह ये है स्वाभिमान आपका 🙏😊🙏
अब देखना यह है कि राहुल गाँधी कितनी सोनिया गाँधी कितने हक की लड़ाई लड़ती है हमारे भाइयो के लिए अब यह देखना है हमने'

यह हमारे खुद के विचार है गालियॉ देनी हो तो हमे दे मेरे परिवार को नही निवेदन है अपनो से !!!.....
चेतक से  मुगलो का पानी पिला दिया अपनो ने ही जबरदस्ती वाह भाइयो वाह कसम से दिल भर गया आज आपसे दिल से कहते है! अब आखरी राम राम तुमसे
कसूर उनका नही #हमारा ही है'
हमारी #चाहत इतनी थी की उनको #गुरुर हो गया???....       { राजपूत यूथ ब्रिगेड }

Thursday, 22 November 2018

दुर्ग सिंह जी चौहान नागौर भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया

दुर्ग सिंह जी चौहान नागौर जिले के कद्दावर और लोकप्रिय राजपूत युवा नेता है I

कल उन्होंने मेरी उपस्थिति में भाजपा राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सेनी जी और यशस्वी मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे जी की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया I दुर्ग सिंह जी भारतीय जनता पार्टी के थे, है और हमेशा रहेंगे I

दुर्ग सिंह जी के भाजपा को समर्थन देने से भाजपा नागौर जिले में और मज़बूत हुई है और अभ भाजपा को खींवसर विधान सभा में चुनाव जितने से कोई भी नहीं रोक सकता है I
प्रदेश की 36 क़ौम आज भाजपा के साथ है और हमारी पार्टी कभी जातिवाद की राजनीति नहीं करती है, बल्कि हम सिर्फ़ और सिर्फ़ विकासवाद में विश्वास करते है I

Wednesday, 21 November 2018

आज में बात कर रहा हूं सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के बारे।में कुछ लोग बोल रहै थे सुखदेव सिंह गोगामेड़ी राजनीति के लिए भाग दौड़कर रहें हैं।लेकिन अब पता चल गया होगा वो समाज के लिये काम कर रहे हैं।और ना।बीजेपी से चुनाव लड़ना चाहते ना कांग्रेस से चुनाव लड़ना चाहते हैं। तो अब बोलो  बहुत झुठे आरोप लगा रहे.थे की सुखदेव सिंह गोगामेड़ी कांग्रेस मैं मिलेगे चुनाव लड़े गे। तो  देखिए सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को समाज से बडकर कोई पार्टी नही कोई हैं अब आँख खोलकर देख लो। सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को जो समाज के साथ क़भी भी।समाज के साथ विश्वास घात नही करगे।इसलिए हम सब को सुखदेव सिंह गोगामेड़ी का साथ देना है ।दोस्तों और दोस्तों ।अब म बात करता हु। महाराणा प्रताप की जो समाज के लीय घास की रोटी खाई थीं दोस्तों जो भारत को बचाने के लिए।उस वक़्त भी दुनिया मे जयचंद जैसे राजा।थे और आज भी समाज मे है

जो समाज को एक नहीं होने दिया ।ओर आज भी कुछ लोग अपनी हरकतों से बाज नही आरहें है दोस्तों।उदाहरण के लिये सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को देख लिजीय सुखदेव सिंह गोगामेड़ी जी को जो सर्व समाज के लिये हमें सा तैयार रहते हैं
जो समाज सेवा मैं लगें रहते हैं समाज को साथ लेकर चलते हैं दोस्तों यहाँ तक अपने परिवार के साथ भी बहुत कम समय मिलता है सुखदेव सिंह गोगामेड़ी रहने के लिए ये आपको  याद होगा आनंदपाल जी वाला मेटर जो सुखदेव सिंह ने गोगामेड़ी जी ने सबसे पहले जाकर उस माँ  को रोते  देख. कर।सबसे पहले  जाकर उस माँ को धीर बनाधा ते हैं तो  इस मैं दोस्तों कया राजनीती है दोस्तौ कुछ लोग इसे राजनीति का रंग देते हैं दोस्तों  य उनलोगो की घटीया सोच है दोस्तौ  इस लिए हम सब को सुखदेव सिंह गोगामेड़ी का साथ देना है दोस्तों  आज कुछ लोगों की दुकान बन्द होगई है दोस्तों इसलिए सुखदेव सिंह गोगामेड़ी का नाम अच्छा नहीं लगता दोस्तों यही कारण है हम एक नही हो शक्ते दोस्तों  आज सुखदेव सिंह गोगामेड़ी समाज को एक जाजम पर लाने के लिए बहुत भाग दोड़ कर रहे हैं इसलिए हम सब को इनके साथ मिल कर चलना होगा दोस्तों। तभी एक साथ मिल जूलकर रहना चाहिए एक बात और सर्व  समाज का मतलब है।36 बिरादरी मैं कीसी भी समाज पर कोई भीड़ पडती है तो  ना जाती  ना धर्म देख कर हम सबको. इनसानियत का धर्म निभा चाहिए दोस्तों उसे के बाद ना कोई लडाई ना झगड़ा. होगा।नया भारत  बनेगा दोस्तों चारों तरफ खुशहाली होगी दोस्तों  सुखदेव सिंह गोगामेड़ी जैसी सोच रखने से
से भाई चार भडेगा आप सबको पता चल गया होगा की सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ही समाज का भला कर सकते हैं
ना।राजनीति का लोभ हैं ना।कोई और स्वार्थ बस सारा जीवन समाज के लिये  है दोस्तों ऐसा समाज सेवा करे वाले ढूंढ़ने से भी नही मिलेगा सुखदेव सिंह गोगामेड़ी  जसे ईमानदार समाज सेवा करनेवाले।नहीं मिलेंगे दोस्तों  सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ही हमारे साथ है दोस्तों।जय हिन्द जय भारत  मेरा भारत महान जय श्री राम

Tuesday, 20 November 2018

एक साल पहले ठीक आज ही के दिन कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में टिकटों की घोषणा की थी,

एक साल पहले ठीक आज ही के दिन कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में टिकटों की घोषणा की थी,

कुल घोषित 77 टिकटों में मात्र 2 टिकट राजपूतों को दी गयी थी जबकि 23 टिकट पटेलों को दी गयी थी, शंकर सिंह वाघेला को बेइज्जत करके पहले ही पार्टी छोड़ने को विवश कर दिया गया था!!

बाघेला के कांग्रेस छोड़ने से पहले और इस टिकट घोषणा  से पहले राजपूत समुदाय बहुतायत में वहां कांग्रेस को वोट करने को तैयार था!!
मोदी के गृह राज्य में ही बीजेपी की करारी पराजय होने जा रही थी,
पटेल, ठाकोर, राजपूत, दलित, मुस्लिम, सब एक पायदान पर खड़े होकर गुजरात से बीजेपी की विदाई करने का संकल्प ले चुके थे।

पर कांग्रेस ने वहां राजपूतों की कद्र ही नही की, स्वतन्त्र भारत के राजनैतिक इतिहास में राजपूतो को सबसे कम टिकट दिए गए !!

राजपूत समुदाय विवश होकर भाजपा में चला गया, पटेलों की उग्रता की प्रतिक्रिया में ठाकोर वोट का बड़ा हिस्सा भी बीजेपी को मिला, शहरी मतो का बीजेपी के पक्ष में जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ, योगी आदित्यनाथ के प्रभाव से शहरों/अधौगिक इलाको में उत्तर भारतीयो का समर्थन भी बीजेपी को मिल गया,
विकास के नारे भूलकर मोदी ने भावनात्मक अपील की!

और इस प्रकार कांग्रेस वहां जीती हुई बाजी हार गयी!!!!!!

ठीक उसी प्रकार कोंग्रेस ने राजस्थान में किया यहां भी जीती हुई बाजी फिर से हारना तय है सरकार भाजपा ही बनाएगी...

ये अशोक गहलौत माली ही उस समय गुजरात कांग्रेस का प्रभारी था, जिसने कांग्रेस को गुजरात में जीती हुई बाजी हरवा दी थी।

अशोक गहलौत भी कम राजपूत विरोधी नही है, बस ये खुलकर वार नही करता, पर मीठी छूरी चलाता है, जाट राजपूतो की प्रतिद्वन्दिता का मजा ले रहा है

केसरिया और भगवा में क्या अंतर है?

केसरिया और भगवा में क्या अंतर है?

मुझसे यह पूछा गया है कि केसरिया और भगवा में क्या अंतर है?

यह सही है की केसरिया और भगवा दोनों एक ही जैसे रंग है परंतु उनकी मूलभूत अंतर्निहित विशेषताओं में बहुत भारी अंतर है।

केसरिया प्राणोत्सर्ग का प्रतीक है,क्षत्रियत्व का प्रतीक है,शौर्य और संघर्ष का प्रतीक है, साहस का प्रतीक है और धर्म की रक्षा के लिए कर्तव्य पथ पर मिट जाने की अदम्य आकांक्षा का प्रतीक है।

भगवा भारत की त्याग प्रधान संस्कृति का प्रतीक है, त्याग और मोक्ष की आकांक्षा का प्रतीक है,संसार को मिथ्या समझ कर उसके प्रति उदासीनता और परम अध्यात्म का प्रतीक है।

परन्तु जब हम भगवा और केसरिया की तुलना करते हैं तो हमें उनके परिप्रेक्ष्य और सन्दर्भों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

जब भी हम संस्कृति,अध्यात्म,त्याग और श्रेष्ठता के साथ केसरिया को राजनीति,स्वार्थ और निजी अथवा सांगठनिक महत्वाकांक्षाओं माध्यम से जब भी जोड़ने का प्रयास करेंगे एक पाखंड और पलायनवादिता के अतिरिक्त कुछ नहीं हो पाएगा।

केसरिया का अर्थ है देश, धर्म,आत्मसम्मान,नारी और निर्बल की रक्षार्थ निडर भाव से प्राण त्यागने का व्रत धारण कर लेना।

और यही व्रत धारण कर राजपुतों के पुरखों ने आज का हिन्दू धर्म जिंदा रखा है।

इसका विपरीत भी उतना ही सही हैं अगर भगवा रंग को हम राष्ट्रवाद राष्ट्रीय राजनीति, धर्म की रक्षा और निजी और सांगठनिक महत्वाकांक्षाओं के साथ जोड़ने का प्रयास करेंगे तो भी यह सिर्फ पाखंड ही होगा।

यह पाखण्ड पूंजीवादी विचारधारा की पोषक आज के कथित हिंदू धर्म के झंडाबरदार संगठन हमेशा से इस्तेमाल करते आ रहे है।

और इन्होंने ही हिंदू धर्म,इतिहास,और भारत वर्ष की महान आध्यात्मिक परम्परा को बाजारू,सस्ता और ओछा करके रख दिया है।

भारत में यही विडंबना पिछले 70 वर्षों से चली आ रही है सर्वप्रथम कांग्रेस ने भारतीय धर्म और संस्कृति अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए भगवा और केसरिया दोनों को निषेध जैसे शब्दों के रूप में स्थापित करने का षड्यंत्र किया है।

और भारत में आज़ादी के बाद जिस पूंजीवादी राज्य की स्थापना हुई उसमें हिंदू धर्म राजपूती त्याग और सनातन संस्कृति को निषेध की तरह घोषित कर दिया गया।
कांग्रेसमें शायद यह असुरक्षा बोध भी था की राजपूत जाति राजाओं के रूप में और पूर्व शासक समुदाय के रूप में एक राजनीतिक चुनौती के रूप में कांग्रेस के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती है।

इसलिए कांग्रेस ने केसरिया का भी विरोध किया और भगवा का भी विरोध किया। परंतु यह विरोध केवल इसलिए की पूंजीवादी वणिक समुदाय यह चाहता था कि भारत का बहुमत जाति और धर्म के आधार पर हमेशा आपस में लड़ता रहे और अल्पसंख्यक मुसलमान अपने असुरक्षा बोध के चलते कांग्रेस से मज़बूरी में सदैव जुड़ा रहे।

परंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी ने भी सत्ता में आने के अपने प्रयासों में सदैव ही इस भगवा रंग को अपने वैश्यालयों और लंपट दुष्कर्मों को ढकने में इस्तेमाल किया। वास्तव में बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कांग्रेस के विरोधी मगर पूंजीवादी विचारधारा वाला महत्वाकांक्षी और सत्ता लोलुप संघठन ही थे जो कांग्रेस द्वारा सत्ता से वंचित कर दिये गए थे।

बस बीजेपी और संघ ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए कांग्रेस विरोधियों को अपने पक्ष में लेने के प्रयास किए जिसके अंतर्गत राजपूत कांग्रेस के विरोध के चलते हुए बीजेपी से जुड़ गए थे बस!

चतुर और धूर्त बीजेपी ने राजपूतों को कभी भी आगे आने और अभिमान करने लायक ही नहीं छोड़ा। उसने शातिर तरीके से केसरिया को भगवा में बदल दिया और इस तरह से उसने एक तीर से दो शिकार किए।

एक तरफ बीजेपी और संघ ने भगवा और हिंदू संगठन को महत्व दे कर एक बड़ा जनाधार अपने पक्ष में खड़ा करने का आधार बना दिया जिसके माध्यम से आजादी के बाद सत्ता से वंचित अंग्रेज समर्थक और गद्दार वणिक वर्ग सत्ता में आने की अपनी सम्भावनाएं बना सके ।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस विरोधी कार्यकर्ताओं की फौज के रूप में राजपूतों को भगवा रंग को केसरिया के समान मानकर उन्हें अंधेरे में रखा गया और धीरे धीरे हिन्दू धर्म,संस्कृति और इतिहास को ख़त्म करते गए।
यह वणिकों की फौज जो केवल और केवल व्यापार और मुनाफे के अलावा किसी नैतिकता को नहीं मानती थी और उनका स्वयं का इतिहास केवल और केवल गद्दारी से भरा हुआ था और जिन्होंने पिछले हजारों वर्षों से ब्याज और मुनाफाखोरी लूट और दगाबाजी से उत्तर से दक्षिण और पूर्व में पूर्व से पश्चिम तक हर आम और हर वर्ग के भारतीय का सिर्फ आर्थिक और सामाजिक शोषण किया था, अब चाहती थी कि अब उनका और भारत एक नया इतिहास बने जो कि पूरी तरह से पौराणिक आख्यानों पर आधारित और काल्पनिक हो परंतु उसमें लंपट बनियों के बारे में कुछ भी बुरा न लिखा गया हो |
इसी षड्यंत्र के तहत इन्हीं वणिकों ने मुस्लिम इतिहास और वामपंथी इतिहास के माध्यम से पहले तो हिंदू संस्कृति का इतिहास विकृत करने दिया और बाद में षड्यंत्र पूर्वक काल्पनिक पौराणिक इतिहास को नए इतिहास के रूप में स्थापित करने में जुट गए। पौराणिक आख्यानों को वैज्ञानिक साबित करने के शुद्र प्रयासों को जो रंग दिया गया था वह लम्पटता की सड़ांध में बदबू देने वाला भगवा रंग ही था।
वर्तमान भगवा रंग की यही कटु सच्चाई है।यह केसरिया गौरव और भारत के वास्तविक इतिहास दोनों को खत्म करके सफेद झूठ के कपड़े को स्वार्थ,शोषण और आर्थिक असमानता की पीली गंदगी से रंग कर गढ़ा गया है। इसका रंग तो केसरिया नजर आता है पर उसमें शाका और जौहर के जलते चंदन और कोपरों की खुशबू नहीं आती है।
इसमें आती है तो सिर्फ असमानता और शोषण की बदबू !!
इसलिये सच्चे क्षत्रिय इस भगवे के निकट ज्यादा देर तक नहीं रह पाएंगे।

आजादी के बाद लिखे गए भारत के वामपंथी विचारधारा के इतिहास, मुस्लिम विचारधारा के इतिहास और संघ की विचारधारा के इतिहास में यह एक बात कटु मगर एक समान रूप से मौजूद है कि ये सभी हिंदू धर्म के वास्तविक इतिहास को,वास्तविक संस्कृति को,वास्तविक अध्यात्म को और वास्तविक महानता को सिरे से ही अस्वीकार करते हैं।
और बिचारे राजपूत भगवा को अपनी संस्कृति और गौरव का विषय समझकर बीजेपी के साथ 70 सालों तक जुड़े रहे हैं।

और मौका आने पर बीजेपी ने उनको यह स्पष्ट कर दिया कि वे सिर्फ भगवा और पौराणिक आख्यानों पर निर्मित काल्पनिक हिंदू धर्म के ही समर्थक है।
केसरिया हिंदू धर्म जिसकी रक्षा के लिए 1000 वर्षों तक अपने प्राणों की बलि देने वाला राजपूतों के वंशज अपने आपको आत्मा से जुड़ा मानते है वह इन बनियों के लिए सिर्फ घृणा का विषय है क्योंकि हिदुओं के संघर्ष और जगत सेठों की गद्धारियाँ इतिहास में एक साथ नजर आती हैं

Monday, 19 November 2018

इसलिए_है_गोगामेड़ी_सो_कॉल्ड_बुद्धिजीवियों_के_निशाने_पर

#इसलिए_है_गोगामेड़ी_सो_कॉल्ड_बुद्धिजीवियों_के_निशाने_पर●●●

आजकल समाज का बुद्धिजीवी वर्ग आपराधिक छवि वाले लोगों द्वारा सामाजिक नेतृत्व हथिया लिए जाने काफी दुखी है| इन कथित बुद्धिजीवियों का कहना है कि आपराधिक छवि के लोगों का नेतृत्व चाहे किसी भी जाति वर्ग का हो वह खतरनाक है | एक बुद्धिजीवी ने फेसबुक पर अपना दुःख प्रकट करते हुए या फिर तंज कसते हुए लिखा कि- “मजे की बात यह है कि एससी -एसटी एक्ट के दुरुपयोग की आशंका भी वह सज्जन (?) जता रहे हैं, जो खुद हत्या, हत्या के प्रयास, जैसे कई आरोपों में घिरे रहे हैं और जेल यात्राओं के बावजूद बेरोजगारी – बेकारी जैसी समस्याओं से जूझते नौजवानों और समाज का नेतृत्व करने के लिए सज -धज कर तैयार हैं|”

बुद्धिजीवियों के इस तरह के पोस्ट पढ़कर ये तो साफ़ है कि करणी सेना को मिल रहे अपार समर्थन व करणी सेना में आपराधिक छवि वाले लोगों के नेतृत्व से समाज के बुद्धिजीवी काफी विचलित है| ये उनका दुःख भी हो सकता, करणी सेना की कामयाबी को लेकर उनके मन में जलन भी हो सकती है, सुखदेव सिंह गोगामेड़ी जैसे कम पढ़े लिखे व हत्या के प्रयास, जैसे आरोपों का सामना करने वाले नेताओं के आगे बढ़ने का डर है, ये तो वो ही जाने पर यह सच है कि आज देशभर के क्षत्रिय युवाओं की पहली पसंद करणी सेना ही है| पद्मावत मुद्दे पर विरोध हो, उपचुनावों में भाजपा को सबक सिखाना हो, हाल ही उज्जैन में आठ लाख से ज्यादा की भीड़ एकत्र कर शिवराजसिंह को अपनी भाषा बदलने के लिए मजबूर करना हो, ये काम करणी सेना, जय राजपुताना संघ व उन्हीं के सम्पर्क वाले विभिन्न क्षत्रिय संगठनों ने ही किया है| आपको बता दें सुखदेवसिंह गोगामेड़ी पर कई आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं, ऐसे मुकदमें संसद में बैठे कई नेताओं पर चल रहे हैं, हमारा संविधान उसे ही दोषी मानता है जिसका अपराध न्यायलय में साबित हो जाए, बाकी आरोप किसी पर भी, कभी भी, कैसे भी लगाए जा सकते हैं, आरोप लगते ही किसी को आपराधिक पृष्ठभूमि का कहना भी गलत है| सुखदेव गोगामेड़ी पर भी आरोप है, जो अभी तक साबित नहीं हुए|

बेशक ये संगठन और खासकर सुखदेव सिंह गोगामेड़ी बुद्धिजीवियों के निशाने पर हों पर यह भी एक कड़वा सच है कि आज इन कथित बुद्धिजीवियों, सो कॉल्ड समाजसेवियों, राजनैतिक दलों में उपेक्षित राजपूत नेताओं की पूछ इन्हीं संगठनों के कारण बढ़ी है| अत: कथित बुद्धिजीवी व सो कॉल्ड समाज से