Tuesday, 20 November 2018

एक साल पहले ठीक आज ही के दिन कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में टिकटों की घोषणा की थी,

एक साल पहले ठीक आज ही के दिन कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में टिकटों की घोषणा की थी,

कुल घोषित 77 टिकटों में मात्र 2 टिकट राजपूतों को दी गयी थी जबकि 23 टिकट पटेलों को दी गयी थी, शंकर सिंह वाघेला को बेइज्जत करके पहले ही पार्टी छोड़ने को विवश कर दिया गया था!!

बाघेला के कांग्रेस छोड़ने से पहले और इस टिकट घोषणा  से पहले राजपूत समुदाय बहुतायत में वहां कांग्रेस को वोट करने को तैयार था!!
मोदी के गृह राज्य में ही बीजेपी की करारी पराजय होने जा रही थी,
पटेल, ठाकोर, राजपूत, दलित, मुस्लिम, सब एक पायदान पर खड़े होकर गुजरात से बीजेपी की विदाई करने का संकल्प ले चुके थे।

पर कांग्रेस ने वहां राजपूतों की कद्र ही नही की, स्वतन्त्र भारत के राजनैतिक इतिहास में राजपूतो को सबसे कम टिकट दिए गए !!

राजपूत समुदाय विवश होकर भाजपा में चला गया, पटेलों की उग्रता की प्रतिक्रिया में ठाकोर वोट का बड़ा हिस्सा भी बीजेपी को मिला, शहरी मतो का बीजेपी के पक्ष में जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ, योगी आदित्यनाथ के प्रभाव से शहरों/अधौगिक इलाको में उत्तर भारतीयो का समर्थन भी बीजेपी को मिल गया,
विकास के नारे भूलकर मोदी ने भावनात्मक अपील की!

और इस प्रकार कांग्रेस वहां जीती हुई बाजी हार गयी!!!!!!

ठीक उसी प्रकार कोंग्रेस ने राजस्थान में किया यहां भी जीती हुई बाजी फिर से हारना तय है सरकार भाजपा ही बनाएगी...

ये अशोक गहलौत माली ही उस समय गुजरात कांग्रेस का प्रभारी था, जिसने कांग्रेस को गुजरात में जीती हुई बाजी हरवा दी थी।

अशोक गहलौत भी कम राजपूत विरोधी नही है, बस ये खुलकर वार नही करता, पर मीठी छूरी चलाता है, जाट राजपूतो की प्रतिद्वन्दिता का मजा ले रहा है

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